अति विशिष्ट सेवा मेडल पाया, महज 30 साल की उम्र में रीढ़ में चोट के कारण बिस्तर पर पड़े हैं अभिषेक
आसमान की ऊंचाइयों से बातें करने वाले पायलट का बेटा जिंदगी की जंग लड़ रहा है। महज 30 साल की उम्र
में रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण वह चलने फिरने से लाचार है। फिलहाल ‘सर्व ह्यूमैनिटी सर्व गॉड’ संस्था उसका इलाज करा रही है। अभिषेक को उम्मीद है कि जल्द व फिर पहले की तरह दौड़ेंगे।
पीजीआई के पास गांव रतवाड़ा में सर्व ह्यूमैनिटी सर्व गॉड संस्था के केंद्र में उपचाराधीन अभिषेक जीरकपुर में रहते हैं। अपनी मर्जी से हिलने में भी वह सक्षम नहीं हैं। अभिषेक ने बताया कि 2011 में मां चल बसीं जबकि लगभग एक साल पहले पिता । इसके बाद से मुसीबतों का पहाड़ उन पर टूट पड़ा। छोटा भाई अमित मानसिक बीमारी से जूझ रहा है। वह जीएमसीएच-32 में भर्ती है। अभिषेक ने बताया कि लगभग एक महीने पहले उनका रक्तचाप अचानक बड़ी तेजी से बढ़ा। अस्पताल ले जाना पड़ा। वहां पता चला कि उनके शरीर का गर्दन से नीचे का हिस्सा सुन्न हो चुका है। रीढ़ की हड्डी में किसी खराबी के कारण यह समस्या हुई। अभिषेक ने बताया कि जीएमसीएच-32 में न्यूरो विभाग न होने के कारण उन्हें भर्ती नहीं किया गया। मैक्स गए तो वहां जगह नहीं मिली। पीजीआई में 20 दिन रहने के बाद उन्हें गुरुद्वारे के सहयोग से एक सप्ताह पहले ‘सर्व ह्यूमैनिटी सर्व गॉड’ संस्था में भेज दिया गया। 13 दिसंबर को जीएमसीएच-32 में एक और मरीज मिला था, जिसे संस्था लाई है।
इंदिरा गांधी का प्लेन तक उड़ाया था पिता ने
अभिषेक ने बताया कि पिता आइवर पर्सीवल अलेक्जेंडर एयर कमोडोर थे। 3 जनवरी 1994 को वायु सेना स्टेशन चंडीगढ़ का एयर ऑफिसर कमांडिंग नियुक्त किया गया था। उन्हें अति विशिष्ट सेवा मेडल से भी नवाजा गया था। 80 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का प्लेन तक उड़ाया था। मता अलमोड़ा की रहने वाली थीं और एक प्रसिद्ध ज्योतिषी थीं। हरियाणा के पूर्व सीएम भजनलाल और पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर तक उनसे भविष्य जानने पहुंचते थे।
संस्था मुफ्त करती है मरीजों का इलाज
संस्था के संस्थापक स्वर्णजीत सिंह ने बताया कि उनके पास दो केंद्र हैं। एक पैंथपुर गांव में दूसरा रतवाड़ा में पैंथपुर निवासी हरिंदर सिंह गुरु ने अपना घर संस्था क मरीजों के लिए दिया तो रतवाड़ा की सिद्धू फैमिली ने नेक काम के लिए अपना आसरा दिया। दोनों में कुल 30 मरीज इलाजरत हैं। 202 मरीज यहां से इलाज करवाकर अपने-अपने घर जा चुके हैं। सुबह फिजियोथैरेपिस्ट का सेशन होता है।
इच्छाशक्ति से लाइलाज बीमारी का इलाज संभव
फिजियोथैरेपिस्ट मैथ्यू का कहना है कि एमआरआई की रिपोर्ट में सामने आया है कि इनकी नाड़ियां दब गई हैं। यह कई कारण से होता है। कई बार गिरने से या ट्रॉमा की वजह से भी हो जाता है। एक्सरसाइज शुरू करवाई है। यह लाइलाज बीमारी है, लेकि मरीज का ठीक होना उसकी इच्छाशक्ति और एक्सरसाइज पर भी निर्भर होता है