जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती है ‘सर्व ह्यूमेनिटी सर्व गॉड’ संस्था

धरती पर सबसे बड़ी बीमारी गरीबी है। इसका इलाज किसी भी अस्पताल में नहीं होता और ये अनअटेंडेड रहती है। इसके बाद यही गरीबी अनपढ़ता और अपराध को जन्म देती है। ये कहते हैं सर्वह्यूमेनिटी सर्व गॉड के चेयरमैन स्वर्णजीत सिंह इनकी संस्था ग्रॉसरी से लेकर दवाएं, स्कूल फीस एंड यूनिफॉर्म, घरों की कंस्ट्रक्शन और एससीआई मरीजों के बेड सोरके उपचार को गंभीरता से लेते हुए इन परिवारों को सर्वाइवल लेवल तक पहुंचने तक सहयोग करती हैं। स्वर्णजीत की मानें तो भगवान की असल सेवा वही है अगर हम इंसानों के लिए कंपेशन रखें और विशेषतौर पर अंडरप्रिविलिज,गरीब, बीमार, जरूरतमंद और हेल्पलेस के लिए मौजूदा समय मैं न्यू चंडीगढ़ के रतवाड़ा साहिब और पैंतपुर में इनके 2 सेंटर हैं। जहां ये पैराप्लेजिक और क्वाड्राप्लेजिक मरीजों का मुफ्त में उपचार और खान- पान की व्यवस्था करते हैं। गरीब बच्चों की पढ़ाई, गरीबों के घरों की कंस्ट्रक्शन, पीजीआई के बार चाय रस्क के लंगर की सेवा करते हैं। कहते हैं कि हम चैरिटी नहीं करते, हम जीवन ट्रांसफॉर्म करने में विश्वास रखते हैं। स्वर्णजीत थापर इंजीनियरिंग कॉलेज पटियाला से 2001 में पासआउट हैं।

संस्था की शुरुआत कैसे हुई ? इसपर स्वर्णजीत ने बताया कि बात 2015 की है। उनकी मां क्वाड्राप्लेजिक बीमारी से ग्रस्त थी। उन्हें गवर्नमेंट और प्राइवेट अस्पतालों में लेकर गए। कहीं से कोई राहत नहीं मिली। संपन्न परिवार से होने के बावजूद साढ़े 6 साल ये जानने के लिए लग गए कि इन्हें बीमारी है क्या। इसी प्रक्रिया के दौरान जीएमसीएच-32 में एक बच्चे को 22 रुपए के इंजेक्शन के पीछे दम तोड़ते देखा। फिर पीजीआई के गुरुद्वारे में देखा कि लोगों के पास 50 रु की दवा खरीदने तक के पैसे नहीं हैं। संपन्न परिवार से होने के चलते मैंने ये सब कभी देखा नहीं था। लेकिन अस्पतालों में लोगों के ऐसे हालात देखकर मैं काफी परेशान हुआ। इसके बाद हम 4-5 दोस्तों ने कंट्रीब्यूशन से इसकी शुरुआत की। पहले महीना, फिर हफ्ते और फिर रोजाना स्तर पर लोगों की मदद करने लगे। इसी बीच भगत पूरण सिंह की बायोग्राफी पढ़ी जिसने काफी इंस्पायर किया। भारत सरकार के नॉर्म्स को चेक किया और उसी दिशा में काम करना शुरू कर दिया। अब ये जीवन का हिस्सा है।

स्वर्णजीत ने बताया कि मौजूदा समय में सर्व हामेनिटी सर्व गॉड का परिवार काफी बड़ा है। 72 दोस्त कंट्रीब्यूट करते हैं। 15 से 92 साल तक के लोग जुड़े हैं। आपस की मदद से ही सब मैनेज करते हैं। महीने का 9 लाख खर्च आता है।

  • रतवाड़ा साहिब और पैंतपुर 2 सेंटर हैं। जहां पैराप्लेजिक और क्वाड्राप्लेजिक मरीजों का मुफ्त में उपचार होता है। देशभर से करीब 200 मरीजों का अब तक उपचार कर चुके हैं।
  • मोहाली और फतेहगढ़ में 28स्कूलों में पढ़ रहे 280 स्टूडेंट्स कीदेते हैं एनुअल फीस ।
  • 9 बच्चियों को करवा रहे हैंजीएनएम नर्सिंग का कोर्स। ब्लड डोनेशन कैंप भी लगवा रहे हैं।

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